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  • साक्ष्य अधिनियम – 1872
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साक्ष्य अधिनियम – 1872

“साक्ष्य” “साक्ष्य’ शब्द से अभिप्रेत है और उसके अन्तर्गत आते हैं (1) वे सभी कथन जिनके, जांचाधीन तथ्य के विषयों के सम्बन्ध में न्यायालय अपने सामने साक्षियों द्वारा किए जाने की अनुज्ञा देता है, या अपेक्षा करता है; ऐसे कथन मौखिक साक्ष्य कहलाते हैं; ऐसे कथन मौखिक साक्ष्य कहलाते हैं, (2) न्यायालय के निरीक्षण के लिए पेश की गई सब दस्तावेजें, जिनके अंतर्गत इलैक्ट्रानिक अभिलेख भी हैं:] ऐसी दस्तावेजें दस्तावेजी साक्ष्य कहलाती हैं।
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Indian evidence act 1872 [Hindi Version]

साक्ष्य अधिनियम-1872

 क़ानूनी धाराएं

1-संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ
2-अधिनियमितियों का निरसन-निरसन अधिनियम, 1938 (1938 का 1) की धारा 2 और अनुसूची द्वारा निरसित
3-निर्वचन-खंड
4-“उपधारणा कर सकेगा”
5-विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकेगा
6-एक ही संव्यवहार के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति
7- वे तथ्य जो विवाद्यक तथ्यों के प्रसंग, हेतुक या परिणाम हैं
8-हेतु, तैयारी और पूर्व का या पश्चात् का आचरण
9-सुसंगत तथ्यों के स्पष्टीकरण या पुरःस्थापन के लिए आवश्यक तथ्य
10-सामान्य परिकल्पना के बारे में षड्यंत्रकारी द्वारा कही या की गई बातें
11-वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं हैं कब सुसंगत हैं
12-नुकसानी के लिए वादों में रकम अबधारित करने के लिए न्यायालय को समर्थ करने की प्रवृत्ति रखने वाले तथ्य सुसंगत हैं
13-जब कि अधिकार या रूढ़ि प्रश्नगत है, तब सुसंगत तथ्य
14-मन या शरीर की दशा या शारीरिक संवदेना का अस्तित्व दर्शित करने वाले तथ्य
15-कार्य आकस्मिक या साशय था इस प्रश्न पर प्रकाश डालने वाले तथ्य
16-कारबार के अनुक्रम का अस्तित्व कब सुसंगत है
17-स्वीकृति की परिभाषा
18-स्वीकृति–कार्यवाही के पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा
19-उन व्यक्तियों द्वारा स्वीकृतियां जिनकी स्थिति वाद के पक्षकारों के विरुद्ध साबित की जानी चाहिए
20-वाद के पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त रूप से निर्दिष्ट व्यक्तियों द्वारा स्वीकृतियां
21-स्वीकृतियों का उन्हें करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध और उनके द्वारा या उनकी ओर से साबित किया जाना
22-दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं
22a–इलैक्ट्रानिक अभिलेखों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं
23-सिविल मामलों में स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं
24-उत्प्रेरणा, धमकी या वचन द्वारा कराई गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में कब विसंगत होती है
25-पुलिस आफिसर से की गई संस्वीकृति का साबित न किया जाना
26-पुलिस की अभिरक्षा में होते हए अभियुक्त द्वारा की गई संस्वीकृति का उसके विरुद्ध साबित न किया जाना
27-अभियुक्त से प्राप्त जानकारी में से कितनी साबित की जा सकेगी
28-उत्प्रेरणा, धमकी या वचन से पैदा हुए मन पर प्रभाव के दूर हो जाने के पश्चात् की गई संस्वीकृति सुसंगत है
29-अन्यथा सुसंगत संस्वीकृति का गुप्त रखने के वचन आदि के कारण बिसंगत न हो जाना
30-साबित संस्वीकृति को, जो उसे करने वाले व्यक्ति तथा एक ही अपराध के लिए संयुक्त रूप से विचारित अन्य को प्रभावित करती है विचार में लेना
31-स्वीकृतियां निश्चायक सबूत नहीं हैं किंतु विबंध कर सकती हैं
32-वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि
33-किसी साक्ष्य में कथित तथ्यों की सत्यता को पश्चात्वर्ती कार्यवाही में साबित करने के लिए उस साक्ष्य की सुसंगति
34-लेखा पुस्तकों की प्रविष्टियां कब सुसंगत हैं
35-कर्तव्य पालन में की गई लोक अभिलेख [इलैक्ट्रानिक अभिलेख] की प्रविष्टियों की सुसंगति
36-मानचित्रों, चार्टी और रेखांकों के कथनों की सुसंगति
37-किन्हीं अधिनियमों या अधिसूचनाओं में अन्तर्विष्ट लोक प्रकृति के तथ्य के बारे में कथन की सुसंगति
38-विधि की पुस्तकों में अन्तर्विष्ट किसी विधि के कथनों की सुसंगति
39-जबकि, कथन किसी बातचीत, दस्तावेज, इलैक्ट्रानिक अभिलेख, पुस्तक अथवा पत्रों या कागज-पत्रों की आवली का भाग हो तब क्या साक्ष्य दिया जाए
40-द्वितीय वाद या विचारण के वारणार्थ पूर्व निर्णय सुसंगत हैं
41-प्रोबेट इत्यादि विषयक अधिकारिता के किन्हीं निर्णयों की सुसंगति
42-धारा 41 में वर्णित से भिन्न निर्णयों, आदेशों या डिक्रियों की सुसंगति और प्रभाव
43-धाराओं 40, 41 और 42 में वर्णित से भिन्न निर्णय आदि कब सुसंगत हैं
44-निर्णय अभिप्राप्त करने में कपट या दुस्संधि अथवा न्यायालय की अक्षमता साबित की जा सकेगी
45-विशेषज्ञों की राये
45A-इलैक्ट्रानिक साक्ष्य के परीक्षक की राय
46- विशेषज्ञों की रायों से संबंधित तथ्य
47-हस्तलेख के बारे में राय कब सुसंगत है
47A-इलैक्ट्रानिक चिह्नक के बारे में राय कब सुसंगत है
48-अधिकार या रूढ़ि के अस्तित्व के बारे में रायें कब सुसंगत हैं
49-प्रथाओं, सिद्धान्तों आदि के बारे में रायें कब सुसंगत हैं
50-नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है
51-राय के आधार कब सुसंगत हैं
52-सिविल मामलों में अध्यारोपित आचरण साबित करने के लिए शील विसंगत है
53-दाण्डिक मामलों में प्रवर्तन अच्छा शील सुसंगत है
53A-कतिपय मामलों में शील या पूर्व लैंगिक अनुभव के साक्ष्य का सुसंगत न होना
54-उत्तर में होने के सिवाय पूर्वतन बुरा शील सुसंगत नहीं है
55-नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील
56-न्यायिक रूप से अवेक्षणीय तथ्य साबित करना आवश्यक नहीं है
57-वे तथ्य, जिनकी न्यायिक अवेक्षा न्यायालय को करनी होगी
58-स्वीकृत तथ्यों को साबित करना आवश्यक नहीं है
59-मौखिक साक्ष्य द्वारा तथ्यों का साबित किया जाना
60-मौखिक साक्ष्य प्रत्यक्ष होना चाहिए
61-दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु का सबूत
62-प्राथमिक साक्ष्य
63-द्वितीयिक साक्ष्य
64-दस्तावेजों का प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित किया जाना
65-अवस्थाएं जिनमें दस्तावेजों के सम्बन्ध में द्वितीयिक साक्ष्य दिया जा सकेगा
65A-इलैक्ट्रानिक अभिलेख से संबंधित साक्ष्य के बारे में विशेष उपबंध
65B-इलैक्ट्रानिक अभिलेखों की ग्राह्यता
66-पेश करने की सूचना के बारे में नियम
67-जिस व्यक्ति के बारे में अभिकथित है कि उसने पेश की गई दस्तावेज को हस्ताक्षरित किया था या लिखा था उस व्यक्ति के हस्ताक्षर या हस्तलेख का साबित किया जाना
67A-इलैक्ट्रानिक चिह्नक के बारे में सबूत
68-ऐसी दस्तावेज के निष्पादन का साबित किया जाना जिसका अनुप्रमाणित होना विधि द्वारा अपेक्षित है
69-जब किसी भी अनुप्रमाणक साक्षी का पता न चले, तब सबूत
70-अनुप्रमाणित दस्तावेज के पक्षकार द्वारा निष्पादन की स्वीकृति
71-जबकि अनुप्रमाणक साक्षी निष्पादन का प्रत्याख्यान करता है, तब सबूत
72-उस दस्तावेज का साबित किया जाना जिसका अनुप्रमाणित होना विधि द्वारा अपेक्षित नहीं है
73-हस्ताक्षर, लेख या मुद्रा की तुलना अन्यों से जो स्वीकृत या साबित हैं
73A-इलैक्ट्रानिक चिह्नक के सत्यापन के बारे में सबूत
74-लोक दस्तावेजें
75-प्राइवेट दस्तावेजें
76-लोक दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां
77-प्रमाणित प्रतियों के पेश करने द्वारा दस्तावेजों का सबूत
78-अन्य शासकीय दस्तावेजों का सबूत
79-प्रमाणित प्रतियों के असली होने के बारे में उपधारणा
80-साक्ष्य के अभिलेख के तौर पर पेश की गई दस्तावेजों के बारे में उपधारणा
81-राजपत्रों, समाचारपत्रों, पार्लमेंट के प्राइवेट ऐक्टों और अन्य दस्तावेजों के बारे में उपधारणाएं
81A-इलैक्ट्रानिक रूप में राजपत्र के बारे में उपधारणा
82-मुद्रा या हस्ताक्षर के सबूत के बिना इंग्लैंड में ग्राह्य दस्तावेज के बारे में उपधारणा
83-सरकार के प्राधिकार द्वारा बनाए गए मानचित्रों या रेखांकों के बारे में उपधारणा
84-विधियों के संग्रह और विनिश्चयों की रिपोर्टों के बारे में उपधारणा
85-मुख्तारनामों के बारे में उपधारणा
85A- इलैक्ट्रानिक करारों के बारे में उपधारणा
85B-इलैक्ट्रानिक अभिलेखों और [इलैक्ट्रानिक चिह्नक] के बारे में उपधारणा
85C- [इलैक्ट्रानिक चिह्नक] प्रमाणपत्रों के बारे में उपधारणा
86-विदेशी न्यायिक अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों के बारे में उपधारणा
87-पुस्तकों, मानचित्रों और चार्टी के बारे में उपधारणा
88-तार संदेशों के बारे में उपधारणा
88A-इलैक्ट्रानिक संदेशों के बारे में उपधारणा
89-पेश न की गई दस्तावेजों के सम्यक् निष्पादन आदि के बारे में उपधारणा
90-तीस वर्ष पुरानी दस्तावेज के बारे में उपधारणा
90A-पांच वर्ष पुराने इलैक्ट्रानिक अभिलेखों के बारे में उपधारणा
91-दस्तावेजों के रूप में लेखबद्ध संविदाओं, अनुदानों तथा संपत्ति के अन्य ब्ययनों के निबन्धनों का साक्ष्य
92-मौखिक करार के साक्ष्य का अपवर्जन
93-संदिग्धार्थ दस्तावेज को स्पष्ट करने या उसका संशोधन करने के साक्ष्य का अपवर्जन
94-विद्यमान तथ्यों को दस्तावेज के लागू होने के विरुद्ध साक्ष्य का अपवर्जन
95-विद्यमान तथ्यों के सदंर्भ में अर्थहीन दस्तावेज के बारे में साक्ष्य
96-उस भाषा के लागू होने के बारे में साक्ष्य जो कई व्यक्तियों में से केवल एक को लागू हो सकती है
97-तथ्यों के दो संवर्गों में से जिनमें से किसी एक को भी वह भाषा पूरी की पूरी ठीक-ठीक लागू नहीं होती, उसमें से एक को भाषा के लागू होने के बारे में साक्ष्य
98- न पढ़ी जा सकने वाली लिपि आदि के अर्थ के बारे में साक्ष्य
99-दस्तावेज के निबन्धनों में फेरफार करने वाले करार का साक्ष्य कौन दे सकेगा
100-भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के विल सम्बन्धी उपबन्धों की व्यावृत्ति
101-सबूत का भार
102-सबूत का भार किस पर होता है
103-विशिष्ट तथ्य के बारे में सबूत का भार
104-साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिए जो तथ्य साबित किया जाना हो. उसे साबित करने का भार
105-यह साबित करने का भार कि अभियुक्त का मामला अपवादों के अन्तर्गत आता है
106-विशेषत: ज्ञात तथ्य को साबित करने का भार
107-उस व्यक्ति की मृत्यु साबित करने का भार जिसका तीस वर्ष के भीतर जीवित होना ज्ञात है
108-यह साबित करने का भार कि वह व्यक्ति, जिसके बारे में सात वर्ष से कुछ सुना नहीं गया है, जीवित है
109-भागीदारों, भू-स्वामी और अभिधारी, मालिक और अभिकर्ता के मामलों में सबूत का भार
110-स्वामित्व के बारे में सबूत का भार
111-उन संव्यवहारों में सद्भाव का साबित किया जाना जिनमें एक पक्षकार का सम्बन्ध सक्रिय विश्वास का है
111a-कुछ अपराधों के बारे में उपधारणा
112-विवाहित स्थिति के दौरान में जन्म होना धर्मजत्व का निश्चायक सबूत है
113-राज्यक्षेत्र के अध्यर्पण का सबूत
113A-किसी विवाहित स्त्री द्वारा आत्महत्या के दुष्प्रेरण के बारे में उपधारणा
113B-दहेज मृत्यु के बारे में उपधारणा
114-न्यायालय किन्हीं तथ्यों का अस्तित्व उपधारित कर सकेगा
114A-बलात्संग के लिए कतिपय अभियोजन में सम्मति के न होने की उपधारणा
115-विबंध
116-अभिधारी का और कब्जाधारी व्यक्ति के अनुज्ञप्तिधारी का विबन्ध
117-विनिमयपत्र के प्रतिगृहीता का, उपनिहिती का या अनुज्ञप्तिधारी का विबन्ध
118-कौन साक्ष्य दे सकेगा
119-साक्षी का मौखिक रूप से संसूचित करने में असमर्थ होना
120-सिविल वाद के पक्षकार और उनकी पत्नियां या पति । दाण्डिक विचारण के अधीन व्यक्ति का पति या पत्नी
121-न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट
122-विवाहित स्थिति के दौरान में की गई संसूचनाएं
123-राज्य का कार्यकलापों के बारे में साक्ष्य
124-शासकीय संसूचनाएं
125-अपराधों के करने के बारे में जानकारी
126- वृत्तिक संसूचनाएं
127-धारा 126 दुभाषियों आदि को लागू होगी
128-साध्य देने के लिए स्वयमेव उद्यत होने से विशेषाधिकार अभित्यक्त नहीं हो जाता
129-विधि सलाहकारों से गोपनीय संसूचनाएं
130-जो साक्षी पक्षकार नहीं है उसके हक-विलेखों का पेश किया जाना
131-ऐसे दस्तावेजों या इलैक्ट्रानिक अभिलेखों का पेश किया जाना जिन्हें कोई दूसरा व्यक्ति, जिसका उन पर कब्जा है, पेश करने से इंकार कर सकता था
132-इस आधार पर कि उत्तर उसे अपराध में फंसाएगा, साक्षी उत्तर देने से क्षम्य न होगा
133- सहअपराधी
134-साक्षियों की संख्या
135-साक्षियों के पेशकरण और उनकी परीक्षा का क्रम
136-न्यायाधीश साक्ष्य की ग्राह्यता के बारे में निश्चय करेगा
137-मुख्य परीक्षा
138-परीक्षाओं का क्रम
139-किसी दस्तावेज को पेश करने के लिए समनित व्यक्ति की प्रतिपरीक्षा
140-शील का साक्ष्य देने वाले साक्षी
141-सूचक प्रश्न
142- उन्हें कब नहीं पूछना चाहिए
143- उन्हें कब पूछा जा सकेगा
144-लेखबद्ध विषयों के बारे में साक्ष्य
145-पूर्वतन लेखबद्ध कथनों के बारे में प्रतिपरीक्षा
146-प्रतिपरीक्षा के विधिपूर्ण प्रश्न
147-साक्षी को उत्तर देने के लिए कब विवश किया जाए
148-न्यायालय विनिश्चित करेगा कि कब प्रश्न पूछा जाएगा और साक्षी को उत्तर देने के लिए कब विवश किया जाएगा
149-युक्तियुक्त आधारों के बिना प्रश्न न पूछा जाएगा
150-युक्तियुक्त आधारों के बिना प्रश्न पूछे जाने की अवस्था में न्यायालय की प्रक्रिया
151-अशिष्ट और कलंकात्मक प्रश्न
152-अपमानित या क्षुब्ध करने के लिए आशियत प्रश्न
153-सत्यवादिता परखने के प्रश्नों के उत्तरों का खण्डन करने के लिए साक्ष्य का अपवर्जन
154- पक्षकार द्वारा अपने ही साक्षी से प्रश्न
155-साक्षी की विश्वसनीयता पर अधिक्षेप
156-सुसंगत तथ्य के साक्ष्य की सम्पुष्टि करने की प्रवृत्ति रखने वाले प्रश्न ग्राह्य होंगे
157-उसी तथ्य के बारे में पश्चात्वर्ती अभिसाक्ष्य की संपुष्टि करने के लिए साक्षी के पूर्वतन कथन साबित किए जा सकेंगे
158-साबित कथन के बारे में, जो कथन धारा 32 या 33 के अधीन सुसंगत है, कौन सी बातें साबित की जा सकेंगी
159-स्मृति ताजी करना
160-धारा 159 में वर्णित दस्तावेज में कथित तथ्यों के लिए परिसाक्ष्य
161-स्मृति ताजी करने के लिए प्रयुक्त लेख के बारे में प्रतिपक्षी का अधिकार
162-दस्तावेजों का पेश किया जाना
163-मंगाई गई और सूचना पर पेश की गई दस्तावेज का साक्ष्य के रूप में दिया जाना
164-सूचना पाने पर जिसे दस्तावेज के पेश करने से इंकार कर दिया गया है उसको साक्ष्य के रूप में उपयोग में लाना
165-प्रश्न करने या पेश करने का आदेश देने की न्यायाधीश की शक्ति
166-जूरी या असेसरों की प्रश्न करने की शक्ति
167-साक्ष्य के अनुचित ग्रहण या अग्रहण के लिए नवीन विचारण नहीं होगा

 


INDIAN EVIDENCE ACT 1872

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