भारतीय संविधान-सभा ने एक प्रस्ताव द्वारा मुझे यह अधिकार दिया था कि मैं, अध्यक्ष की हैसियत से, संविधान का हिन्दी अनुवाद, २६ जनवरी, १९५० ई० तक, तथा, उस के बाद यथाशीघ्र अन्य भाषाओं में भी इस के अनुवाद प्रकाशित करा दूं। मझे यह वांछनीय प्रतीत हुआ कि विभिन्न भारतीय भाषाओं में संविधान के जो अनुवाद तैयार किये जायें उन सब में, अगर सम्भव हो तो, संविधान में प्रयुक्त अंग्रेजी शब्दों के लिये जिन का कि विशेष संविधानिक या कानूनी अर्थ है, एक ही पर्याय प्रयोग में लाये जायें। इस लिये मैंने भाषा-विशेषज्ञों का एक सम्मेलन बुलाया कि वह, जहां तक सम्भव हो, ऐसे पारिभाषिक शब्द प्रस्तुत करें जो प्रायः सर्वत्र प्रयुक्त होते हों और जिन को हम विभिन्न भाषाओं में निकलने वाले संविधान के अनुवादों में प्रयुक्त कर सकें और अन्ततोगत्वा जिनको हम अन्य सरकारी, कानूनी, अदालती और शासन सम्बन्धी कामों में भी प्रयुक्त कर सकें। यह सम्मेलन मध्य प्रांतीय विधान-सभा के अध्यक्ष श्री घनश्यामसिंह गुप्त के सभापतित्व में समवेत हुआ।
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